कोरबा, छत्तीसगढ
गले में चना फंसने से दो-वर्षीय दिव्यांश कुमार की मृत्यु के बाद कोरबा मेडिकल कॉलेज अस्पताल पर इलाज में लापरवाही के गंभीर आरोप लगे हैं। गुरुवार सुबह दिव्यांश ने घर में खेलते समय चने का दाना निगल लिया, जिसके बाद उसे तेज सांस लेने में तकलीफ होने लगी। परिजन तुरंत बच्चे को अस्पताल ले गए, जहां उन्होंने दावा किया कि सुबह आठ बजे से शाम तक डॉक्टर “सीनियर के आने” का इंतजार करते रहे और उपचार शुरू नहीं किया। इसी दौरान बच्चे ने दम तोड़ दिया।
परिजनों का कहना है कि यदि समय रहते श्वासनली से चना निकाल दिया जाता, तो दिव्यांश की जान बचाई जा सकती थी। दूसरी ओर, अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. हरबंश ने आरोपों को खारिज करते हुए बताया कि बच्चा बेहद नाजुक हालत में पहुंचा था; चना कथित तौर पर फेफड़ों तक पहुंच गया था और आंतरिक रक्तस्राव शुरू हो गया था, जिस कारण सभी प्रयास विफल रहे।
इस त्रासदी ने राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर फिर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है। कोरबा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हाल के महीनों में यह तीसरा मामला है, जब उपचार संबंधी देरी के आरोप लगे हैं। घटना के बाद शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया और पुलिस ने आइपीसी की प्रासंगिक धाराओं के तहत अस्वाभाविक मौत का मामला दर्ज कर लिया है। परिजन दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, जबकि जिला प्रशासन ने स्वतंत्र जांच के आदेश दिए हैं।