दिल्ली ABC केंद्र में कुत्तों की हत्या के आरोप: मध्यरात्रि की अव्यवस्था में डॉग लवर्स का हंगामा

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के रोहिणी सेक्टर 27 स्थित नगर निगम दिल्ली (एमसीडी) के एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) केंद्र में शुक्रवार देर रात से आवारा कुत्तों की क्रूर हत्या के गंभीर आरोप लगने के बाद डॉग लवर्स और पशु प्रेमियों ने जमकर हंगामा मचाया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के एक दिन बाद ही उपजी इस घटना ने पूरे शहर में तनाव का माहौल बना दिया है।

मध्यरात्रि का घटनाक्रम और आरोप

शुक्रवार की देर रात जब स्थानीय निवासियों को लगातार कुत्तों की चीख-पुकार सुनाई दी तो कुछ पशु प्रेमी स्वयंसेवक ABC केंद्र पहुंचे। सुबह 3 बजे तक चली इस घटना में डॉग लवर्स ने केंद्र के भीतर पहुंचकर जो कुछ देखा, उसके बाद शहरभर में हंगामा मच गया। स्वयंसेवकों का दावा है कि केंद्र में लगभग 200 आवारा कुत्ते बिना उचित भोजन और पानी के ठूंसे गए थे, जो अपने ही मल-मूत्र में पड़े हुए थे।

स्वयंसेवी मुस्कान ने घटना का आंखों देखा हाल बताते हुए कहा, “वहां बिजली नहीं थी और स्टाफ के रहने की जगह को छोड़कर कहीं पंखे काम नहीं कर रहे थे। हमने दो बकरे खून से लथपथ देखे और शराब की बोतलें पड़ी हुई देखीं। एक कमरे में एक कुत्ता बंद था जिसकी हालत बेहद खराब थी। लगता था 10-15 दिन से उसे खाना नहीं मिला था।”

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ विवाद

इस घटना की जानकारी मिलते ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, विशेषकर X (पूर्व में ट्विटर) पर एक दुर्बल और सांस लेने में तकलीफ झेल रहे कुत्ते का वीडियो वायरल हो गया। इस वीडियो को देखकर लोगों में गुस्से की लहर दौड़ गई और तुरंत ABC केंद्र बंद करने की मांग उठने लगी। एक यूजर ने लिखा, “सेक्टर 27 रोहिणी शेल्टर को अभी बंद करो। कुत्तों की खुले आम हत्या हो रही है!”

डॉग लवर्स के गंभीर आरोप

  • ABC केंद्र में 200 से अधिक कुत्ते अमानवीय स्थितियों में रखे गए थे
  • कुछ दिन पहले तक यह संख्या 300-400 के बीच थी, जिससे संदेह है कि बाकी कुत्तों का क्या हुआ
  • केंद्र में केवल आधा बैग चावल, कुछ हल्दी और दवाओं की भारी कमी
  • एनेस्थीसिया (बेहोशी की दवा) की अनुपलब्धता
  • कर्मचारियों द्वारा कुत्तों को मारे जाने के दृश्य
  • परिसर में जानवरों की खोपड़ी और हड्डियों का मिलना
  • गाड़ियों में खून के निशान और कुत्तों को बोरियों में बंद करना

MCD अधिकारियों का पक्ष

नगर निगम दिल्ली के अधिकारियों ने इन सभी आरोपों का खंडन करते हुए अपना पक्ष रखा है। MCD अधिकारी ने बताया कि केंद्र में कुल 113 आवारा कुत्ते हैं, न कि 200 जैसा कि आरोपी दावा कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि डॉग लवर्स के एक समूह ने मुख्य गेट तोड़कर जबरदस्ती ABC केंद्र में प्रवेश किया था। 17 अगस्त को टूटी हुई टांग वाला एक कुत्ता लाया गया था जिसकी टांग काटना जरूरी था।

पुलिस की जांच रिपोर्ट

दिल्ली पुलिस ने मामले की तत्काल जांच की और अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि केंद्र में मौजूद सभी 113 कुत्ते स्वस्थ पाए गए हैं। पुलिस के अनुसार केवल एक कुत्ता अस्वस्थ था जिसका पहले से उपचार चल रहा था। पुलिस अधिकारी ने बताया कि “कोई क्रूरता या दुर्व्यवहार के संकेत नहीं मिले” और स्थिति को समझाने के बाद प्रदर्शनकारियों की भीड़ को शांत किया गया।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का प्रभाव

यह विवादास्पद घटना सुप्रीम कोर्ट के उस महत्वपूर्ण निर्देश के ठीक एक दिन बाद हुई है जिसमें अदालत ने स्पष्ट किया था कि नसबंदी, टीकाकरण और कृमिनाशन के लिए पकड़े गए कुत्तों को वापस उनके मूल क्षेत्रों में छोड़ा जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने 21 अगस्त को अपने 11 अगस्त के आदेश में संशोधन करते हुए साफ कर दिया था कि सभी कुत्तों को शेल्टर हाउस में नहीं रखा जाएगा।

ABC सिस्टम की चुनौतियां

दिल्ली का एनिमल बर्थ कंट्रोल सिस्टम वर्तमान में गंभीर संकट से गुजर रहा है। शहर में केवल 20 स्टेरिलाइजेशन केंद्र हैं जिनकी संयुक्त क्षमता लगभग 2,500 कुत्तों की है, जबकि दिल्ली में कोई समर्पित डॉग शेल्टर ही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के व्यापक निर्देश के कारण इन केंद्रों पर अभूतपूर्व दबाव पड़ा है, जिससे overcrowding, स्टाफ की कमी और अवैतनिक बिलों की समस्या उत्पन्न हुई है।

राष्ट्रीय नीति की दिशा में कदम

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राष्ट्रव्यापी नीति बनाने का निर्देश दिया है। जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा था, “पूरे देश के लिए विचार किया जाएगा। दूसरे हाईकोर्ट में भी मामले लंबित हैं। इस तरह के सभी मामलों को इस अदालत में ट्रांसफर किया जाएगा ताकि एक राष्ट्रीय नीति बन सके।”

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आगे की चुनौतियां

रोहिणी ABC केंद्र की यह घटना दिल्ली में आवारा कुत्तों की समस्या और उनके प्रबंधन के मुद्दे की गंभीरता को उजागर करती है। एक तरफ जहां पशु कल्याण संगठन और डॉग लवर्स कुत्तों के साथ मानवीय व्यवहार की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ सार्वजनिक सुरक्षा और स्वास्थ्य की चिंताएं भी बढ़ रही हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुसार देश में हर साल करीब 37 लाख लोग कुत्तों के काटने का शिकार होते हैं और प्रतिदिन लगभग 10 हजार लोग इस समस्या से जूझते हैं।

निष्कर्ष

दिल्ली के ABC केंद्र में हुई इस घटना ने पशु कल्याण और सार्वजनिक सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने की चुनौती को और भी जटिल बना दिया है। जबकि पुलिस की जांच में क्रूरता के प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिले हैं, फिर भी डॉग लवर्स के आरोप गंभीर हैं और इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में तैयार होने वाली राष्ट्रीय नीति से उम्मीद की जा रही है कि यह आवारा कुत्तों के मुद्दे का स्थायी और मानवीय समाधान प्रस्तुत करेगी।

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