रायपुर, 25 जुलाई 2025: छत्तीसगढ़ के ₹3,200 करोड़ के लिकर स्कैम मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपनी जांच का दायरा और भी व्यापक बना दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी के बाद ED की कार्रवाई निरंतर तेज हो रही है। हाल ही में जांच एजेंसी ने दुर्ग निवासी होटल कारोबारी विजय अग्रवाल के दिल्ली स्थित आवास और रायपुर के होटल पर समन्वित छापेमारी की है, जो इस घोटाले की व्यापकता को दर्शाता है।
ED की बहुराज्यीय कार्रवाई का विस्तार
प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने 15 जुलाई को एक साथ तीन राज्यों – छत्तीसगढ़, दिल्ली और गोवा में समन्वित छापेमारी की थी। इस कार्रवाई का मुख्य लक्ष्य होटल और शराब कारोबारी विजय अग्रवाल तथा उनके भतीजे राहुल अग्रवाल के व्यापारिक नेटवर्क की जांच करना था। ED के सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की गहन जांच का हिस्सा है।
छापेमारी के मुख्य केंद्र:
- दिल्ली में सर बायोटेक इंडिया लिमिटेड के दो कार्यालयों पर व्यापक तलाशी
- गोवा में एक निवास और व्यापारिक प्रतिष्ठान पर जांच
- छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में विजय अग्रवाल के दीपक नगर स्थित बंगले पर कार्रवाई
- रायपुर के तेलीबांधा क्षेत्र स्थित होटल सागर इंटरनेशनल पर विस्तृत जांच
विजय अग्रवाल, जो होटल सागर इंटरनेशनल के मालिक हैं, पारिवारिक संपत्ति विवाद के बाद अपना व्यापारिक आधार दिल्ली स्थानांतरित कर चुके हैं। ED की जांच के अनुसार, उनके पास कई रेलवे स्टेशनों पर रेस्टोरेंट चेन और बोतलबंद पानी का व्यापार है, जिसके माध्यम से संदिग्ध वित्तीय लेनदेन किए जाने की आशंका है।
मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप
ED की जांच में सामने आया है कि विजय अग्रवाल और राहुल अग्रवाल पर लिकर स्कैम से प्राप्त अवैध धन को शेल कंपनियों और बेनामी निवेश के माध्यम से वैध बनाने का गंभीर आरोप है। हाल की छापेमारी में ₹70 लाख से अधिक नकदी बरामद हुई है, जो इन आरोपों को और भी मजबूत बनाती है।
जांच में मिले मुख्य साक्ष्य:
- बड़ी मात्रा में संदिग्ध वित्तीय दस्तावेज
- शेल कंपनियों के माध्यम से किए गए लेनदेन के रिकॉर्ड
- रियल एस्टेट में संदिग्ध निवेश के सबूत
- विभिन्न बैंक खातों में असामान्य गतिविधि के प्रमाण
छत्तीसगढ़ लिकर स्कैम केवल राज्य की सीमाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव राष्ट्रीय स्तर पर फैला हुआ है। ED की जांच से पता चला है कि इस घोटाले में शामिल व्यक्तियों ने देश के विभिन्न हिस्सों में अपने वित्तीय नेटवर्क का विस्तार किया है।
चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी और राजनीतिक हलचल
18 जुलाई को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी ने इस मामले को एक नया राजनीतिक आयाम दे दिया है। चैतन्य बघेल पर ₹16.7 करोड़ के प्रोसीड्स ऑफ क्राइम (POC) का दुरुपयोग रियल एस्टेट व्यापार में करने का आरोप है। विशेष बात यह है कि उन्हें उनके जन्मदिन पर गिरफ्तार किया गया, जिसे पूर्व मुख्यमंत्री ने राजनीतिक साजिश करार दिया है।
भूपेश बघेल ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि “मोदी और शाह को खुश करने के लिए ED को भेजा गया है।” उन्होंने सवाल उठाया है कि “मार्च से जुलाई तक कोई नोटिस नहीं, कोई पूछताछ नहीं, फिर अचानक गिरफ्तारी क्यों?” इस बयान से छत्तीसगढ़ की राजनीति में नई हलचल पैदा हुई है।
लिकर स्कैम का व्यापक फैलाव
छत्तीसगढ़ लिकर स्कैम 2019 से 2022 के बीच भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में घटित हुआ है। इस घोटाले की कुल राशि ₹2,161 करोड़ से ₹3,200 करोड़ तक आंकी गई है। स्कैम की जटिल कार्यप्रणाली में प्रति बोतल अवैध कमीशन, नकली होलोग्राम का उपयोग, बी-पार्ट लिकर की समानांतर बिक्री और FL-10A लाइसेंस का दुरुपयोग शामिल है।
स्कैम की मुख्य विशेषताएं:
- देशी शराब पर ₹75 प्रति केस तक का अवैध कमीशन
- विदेशी शराब की बिक्री में 10% की निश्चित कटौती
- राज्य के 15 जिलों में व्यापक अवैध नेटवर्क
- उच्च स्तरीय राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण
इस घोटाले में अब तक कई प्रमुख व्यक्तित्वों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जिनमें पूर्व उत्पाद मंत्री कवासी लखमा, पूर्व IAS अधिकारी अनिल तुतेजा, रायपुर मेयर के भाई अनवर धेबर और ITS अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी शामिल हैं।
ED की व्यापक जांच रणनीति
प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में एक व्यापक और बहुआयामी जांच रणनीति अपनाई है। अब तक 5 चार्जशीट दाखिल की गई हैं, जिसमें 4 पूरक चार्जशीट शामिल हैं। 29 उत्पाद विभाग के अधिकारियों के खिलाफ 5,000 पेज की विस्तृत चार्जशीट तैयार की गई है।
ED की कार्रवाई का परिणाम:
- ₹6.15 करोड़ की संपत्ति कुर्क की गई
- कांग्रेस भवन और दो अन्य संपत्तियां संलग्न
- ₹573 करोड़ से अधिक की प्रतिभूतियां और डीमैट खाते फ्रीज
- 13 लोगों की गिरफ्तारी अब तक पूर्ण
ED के सूत्रों के अनुसार, जांच अभी भी प्रारंभिक चरण में है और आगे की कार्रवाई में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं। विशेष रूप से विजय अग्रवाल के मामले में मिले दस्तावेजों के आधार पर नई दिशाओं में जांच की जा रही है।
राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव
छत्तीसगढ़ लिकर स्कैम का प्रभाव केवल राज्य की राजनीति तक सीमित नहीं है। यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस पार्टी की छवि को भी प्रभावित कर रहा है। ED की जांच से जो तथ्य सामने आ रहे हैं, वे सुशासन और वित्तीय पारदर्शिता के गंभीर मुद्दों को उठाते हैं।
वर्तमान में चैतन्य बघेल न्यायिक हिरासत में हैं और ED की जांच निरंतर जारी है। विजय अग्रवाल और अन्य संदिग्ध व्यक्तियों के मामले में भी आगे की कार्रवाई की संभावना है। इस पूरे मामले में ED की सक्रिय भूमिका राज्य की राजनीतिक गतिविधियों को लंबे समय तक प्रभावित करने वाली है।
यह घोटाला न केवल वित्तीय अनियमितताओं को उजागर करता है बल्कि राज्य सरकार की जवाबदेही और पारदर्शिता के मुद्दों पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। ED की जांच से जो नए तथ्य सामने आ रहे हैं, वे छत्तीसगढ़ की राजनीति में आने वाले समय में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकते हैं।