गरियाबंद, छत्तीसगढ़ –
विश्व बाघ दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ के उदंती-सीता नदी अभयारण्य को एक ऐतिहासिक सफलता मिली है। दो वर्षों की निरंतर मेहनत के बाद एक नर बाघ की वापसी से वन विभाग में खुशी की लहर है। 1840 वर्ग किलोमीटर में फैले इस अभयारण्य से दो साल पहले बाघों का पूर्ण रूप से गायब होना वन्यजीव संरक्षण के लिए गंभीर चिंता का विषय था। शिकार और अतिक्रमण की समस्याओं के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई थी।
इस चुनौती से निपटने के लिए वन विभाग ने व्यापक संरक्षण अभियान चलाया। अभियान के तहत 50 से अधिक शिकारियों को गिरफ्तार किया गया और 300 से अधिक अतिक्रमणकारी परिवारों को 700 हेक्टेयर वन भूमि से हटाया गया। आधुनिक कैमरा ट्रैप और निगरानी तकनीक के साथ-साथ बाघों के अनुकूल वातावरण तैयार करने के लिए आवास सुधार कार्यक्रम भी चलाया गया। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की निगरानी में किए गए इस चरणबद्ध कार्य के परिणामस्वरूप एक 4-5 वर्षीय नर बाघ कैमरा ट्रैप में कैद हुआ, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि बाघ ने पुनः इस क्षेत्र को अपना निवास बनाया है।
वन अधिकारियों ने इसे ऐतिहासिक उपलब्धि बताते हुए कहा कि यह न केवल उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है बल्कि यह भी साबित करता है कि योजनाबद्ध कार्यों से विलुप्तप्राय प्रजातियों की वापसी संभव है। यह सफलता भारत के बाघ संरक्षण कार्यक्रम के लिए मिसाल है और देश की वन्यजीव संरक्षण नीतियों की प्रभावशीलता को दर्शाती है। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार एक बाघ की वापसी से पूरा पारिस्थितिकी तंत्र संतुलित होगा और अन्य वन्यजीवों के लिए भी बेहतर माहौल तैयार होगा। अब वन विभाग की योजना निरंतर निगरानी और स्थानीय समुदाय के साथ जागरूकता कार्यक्रम चलाकर इस सफलता को स्थायी बनाने की है।